मुंबई, 31 अक्टूबर। 2000 के दशक की शुरुआत में, टीवी दर्शकों के बीच एक नाम हमेशा चर्चा में रहता था, और वह नाम था अभिनेत्री रूबी भाटिया। उनकी अनोखी आवाज और चेहरा दर्शकों को अपनी ओर खींच लेते थे।
जब भी रूबी स्क्रीन पर आतीं, दर्शक उनके हर इशारे और मुस्कान पर मोहित हो जाते थे। यह केवल उनकी खूबसूरती या स्टाइल के कारण नहीं था, बल्कि उनका आत्मविश्वास और खुशमिजाज व्यक्तित्व उन्हें खास बनाता था।
रूबी भाटिया का जन्म 1 नवंबर 1973 को कनाडा में हुआ। उनके माता-पिता हरबंस और प्रेमलता भाटिया थे। तीन साल की उम्र में, उन्हें उनके चाचा-चाची प्रेमकृष्ण और सरोज भाटिया ने गोद लिया और उनका पालन-पोषण टोरंटो में हुआ। बचपन से ही उन्हें नृत्य और कला में रुचि थी, और उन्होंने बैले, टैप, जैज और आधुनिक नृत्य में प्रशिक्षण लिया।
रूबी ने अपने करियर की शुरुआत 1993 में मिस इंडिया-कनाडा का खिताब जीतकर की। इसके बाद, वह 1994 में फेमिना मिस इंडिया में भी प्रतियोगी रहीं, जहां उनकी प्रतिस्पर्धा ऐश्वर्या राय और सुष्मिता सेन से थी। इस प्रतियोगिता के बाद, रूबी भारत लौट आईं और चैनल वी पर वीजे के रूप में काम करना शुरू किया। उनका हंसमुख व्यक्तित्व और आकर्षक अंदाज उन्हें तुरंत लोकप्रिय बना दिया।
उनका करियर केवल वीजे तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने 'बीपीएल ओए!' और फिल्मफेयर अवार्ड्स की मेज़बानी की। इसके अलावा, उन्होंने 1996 में मिस वर्ल्ड की सह-मेजबानी भी की। 1997 में, उन्होंने टीवी शो 'ये है राज' से अभिनय की शुरुआत की, लेकिन बाद में 'कसौटी जिंदगी की' जैसे हिट धारावाहिकों में भी नजर आईं।
रूबी ने फिल्मों में भी काम किया। 2001 में, उन्होंने 'चोरी-चोरी छुपके-छुपके' में एक समाचार रिपोर्टर का किरदार निभाया। इसके बाद, वह 'बॉलीवुड बाउंड', 'मैं प्रेम की दीवानी हूं', 'कठपुतली', और 'हल्ला बोल' जैसी फिल्मों में भी दिखाई दीं। हालांकि, 2008 के बाद उन्होंने ग्लैमर और फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया।
उनकी निजी जिंदगी की बात करें तो, उनकी पहली शादी गायक नितिन बाली से हुई, लेकिन तीन साल बाद उनका तलाक हो गया। इसके बाद, उन्होंने योग और ध्यान की ओर रुख किया। 2006 में, उन्होंने परमहंस योगानंद की शिष्या बनकर क्रियायोग ध्यान सीखना शुरू किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात अजीत एस. दत्ता से हुई, जिनसे उन्होंने शादी की।
आजकल, रूबी भाटिया सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और एक लाइफ कोच के रूप में काम कर रही हैं। उनका उद्देश्य लोगों को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाना है।
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